SCOPE

This year to inculcate a sense of regularity, I am setting up a simple goal to read one page from Tolstoy’s Calendar of Wisdom every day and as suggested by Tolstoy, I will translate them in Hindi in my own words rather than finding the original source and quoting them verbatim. This collection by Tolstoy was translated by Peter Sekerin. Tolstoy says, “To create a book for the masses, for millions of people … is incomparably more important and fruitful than to compose a novel of the kind which diverts some members of the wealthy classes for a short time, and then is forever forgotten. The region of this art of the simplest, most widely accessible feeling is enormous, and it is as yet almost untouched.” This collection was the effort by Tolstoy in that direction. And as Tolstoy puts it, let’s communicate with the wisest people who ever lived on Earth.

इस साल अपने जीवन में थोड़ी सी नियमितता लाने के लिए मैं हर दिन टॉल्सटॉय के - कैलेंडर ऑफ विजडम - का एक पृष्ठ पढ़ूँगा और जैसा कि टॉल्स्टॉय द्वारा सुझाया गया है, मैं मूल स्रोत खोजने के बजाय उनका अपने शब्दों में हिंदी में अनुवाद करूंगा। टॉल्स्टॉय के इस संग्रह का अनुवाद पीटर सेकेरिन ने किया था। टॉल्स्टॉय कहते हैं, “लाखों लोगों के लिए एक पुस्तक लिखना … उस तरह के एक उपन्यास की रचना करने की तुलना में अतुलनीय रूप से अधिक महत्वपूर्ण और फलदायी है जो थोड़े समय के लिए धनी वर्गों के कुछ सदस्यों को संबोधित करती है, और फिर हमेशा के लिए भुला दी जाती है। सबसे सरल, सबसे व्यापक रूप से सुलभ भावना की इस कला का क्षेत्र बहुत बड़ा है, और यह अभी तक लगभग अछूता है।” यह संग्रह टॉलस्टॉय द्वारा उस दिशा में किया गया प्रयास था। और जैसा कि टॉल्सटॉय कहते हैं, आइए धरती पे रहे इन सबसे बुद्धिमान लोगों के साथ संवाद करें।

26th January

एक अमीर मनुष्य दयावान नहीं हो सकता, क्यूँकि हर कोई जो मदद माँगे अगर उसकी मदद की जाए तो अमीर ज़्यादा देर तक अमीर नहीं रह सकता। किसी से धन लूटके किसी और को देकर दयावान बनना अमीर मनुष्य की क्रूरता कहलाती है।

25th January

बेमतलब के ज़्यादा विज्ञान को सीखने के बजाय कुछ मूलभूत जीवन के नियमों का जानना ज़रूरी है। ये नियम तुम्हें सही और ग़लत में फर्क करना सीखाते हैं, जहाँकि बेमतलब का ज्ञान तुममें घमंड उत्पन्न कर जीवन की मूल समझ ग्रहण करना मुश्किल करता है।

24th January

तुम्हारे कर्म तुम्हारे आस पास के लोगों की इच्छा अनुसार नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता की ज़रूरतों के हिसाब से निर्धारित होने चाहिए।

23rd January

तुम्हारा क्रोध किसी भी कारण से उचित नहीं ठहराया जा सकता, उसका कारण हमेशा तुम्हारे अंदर ही विध्यमान है।

22nd January

किसी की हत्या किसी भी परिस्थिति में जायज़ नहीं ठहरायी जा सकती। इससे गिंहोना कोई और अपराध नहीं है।

21st January

अपनी ग़लतियों से सीखो, उनकी समझ से अधिक ज्ञान कुछ और नहीं दे सकता।

20th January

जीवन और मृत्यु दो सीमाएँ हैं तथा दोनों के पीछे कुछ एक सा छुपा है। अगर तुम मृत्यु पश्चात कहीं जाने की सोच रहे हो तो ये भी सोचो की तुम कहीं से आए हो। इसी कारण, इंसान को मृत्यु पश्चात की नहीं परंतु अभी जीवन को ढंग से जीने के बारे में सोचना चाहिए।

19th January

सामाजिक और नीजि जीवन में आत्मा के उत्थान का एक ही तरीक़ा है और वह है, त्याग।

18th January

जीवन कैसे जीया जाए, ही वास्तविक विज्ञान है। और ये ज्ञान सब के लिए उपलब्ध है। अधिकतर लोग प्रायः इस ज्ञान को नज़रंदाज कर दिशा विहीन जीवन व्यतीत करते हैं।

17th January

जल ख़ाली पात्र में भरे पात्र से मात्र जुड़ने से जिस प्रकार प्रवाहित हो जाता है उस प्रकार बुधिमता बुधिमान मनुष्य के मात्र सम्पर्क में आने से नहीं आती, उसके लिए स्वतंत्र गम्भीर प्रयास की आवश्यकता होती है। स्वयं की आत्मा को सुधारो, और विश्वास रखो कि ऐसा करने से ही तुम समाज़ को सुधारने में अपना सहयोग दे रहो हो।

16th January

जीवन का उद्देश्य तर्करहित जीवन की शुरुआत को तार्किक शुरुआत तक लाना है। इसके लिए हर तर्करहित की पहचान आवश्यक है तथा तार्किक जीवन की सम्भावना को समझना ज़रूरी है। हमें हर वक़्त नयी सूचना को ध्यान में रखकर अपने विचारों को बदलने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।

15th January

ईश्वर को समझने के दो तरीके हैं, बौधिक या आध्यात्मिक, बौधिक तरीके में गल्ती होने के अवसर अधिक होते हैं। आध्यात्मिक समझ के लिए नैतिक कर्म आवश्यक है तथा यह प्राकृतिक तरीका है।

14th January

प्रेम परिणाम है हमारी ईश्वर की समझ का, अगर हम एक दूसरे से प्रेम करें तो ईश्वर हम में ही है।

13th January

जीवन से जुड़ी ज़िम्मेदारियों को अपनाना ही आस्था है। जीवन के बाद क्या होगा, सोचना व्यर्थ है। अंत सुखद ही होगा।

12th January

प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर तथा संसार से अपना रिश्ता ख़ुद निर्धारित करना चाहिए। पूर्वजों व साधु संतों की बातों को तर्क की तराज़ू पे तोलकर ही अपनाना या नकारना चाहिए।

11th January

भूतकाल में की गयी ग़लतियों को याद रखो ताकि वो दोहरायी ना जाए, और अच्छे कर्मों को भूल जाओ अन्यथा ये भविष्य में करे जाने वाले सुकर्मों में बाधा डालते हैं। काफ़ी लोग हैं जो बड़बोलेपन में रहते हैं, परंतु जीवन के गहरे रहस्य केवल विनम्र इंसान जान सकता है।

10th January

माता पिता की सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी अपने बच्चों को अछी शिक्षा देना है, ऐसा करने से वो मानवता के भविष्य को सुरक्षित करते हैं।

9th January

वास्तविक ज्ञान बुद्धि से अर्जित किया जाता है ना की याददाश्त से। एक विचार तभी सही दिशा में लेके जाता है जब वह उन सवालों का जवाब देता है जो कि आत्मा द्वारा पूछे जाते हैं। जो विचार किसी से उधार लिए गए हों और उसके बाद मन तथा याददाश्त द्वारा मान लिए गए हों, तुम्हारे जीवन में ख़ास प्रभाव नहीं डालते और ज़्यादातर ग़लत दिशा में ले जाते हैं। इसी कारण पढ़ो काम पर सोचो ज़्यादा, किताबों और गुरु से वही चीज़ें सीखो जो अति आवश्यक हैं।

8th January

महात्मा बुद्ध कहते हैं कि जो मनुष्य अपनी आत्मा के लिए जीने लगता है वह मानो अंधकार में उज़ाला उत्पन्न कर रहा है। इस कार्य में लगनशील रहने से, आत्मा को उजाले की प्राप्ति होती है। हर मनुष्य से प्रेम ही धर्म है।

7th January

जो जितना दयालु व विचारशील होता है वह दूसरों में उतना ही दया भाव पाता है। दयाभाव हमारे जीवन को सम्पूर्ण करती है, दया से मुश्किल चीज़ें आसान और उबाऊ चीज़ें लुभावनी हो जाती है।

6th January

अच्छे कार्य करने में निरंतर कार्यरत रहन चाहिए, तथा बुराई से भी निरंतर बचना चाहिए। जो मनुष्य क्रोध पे काबू पा सके वह ही बलवान मनुष्य है, बाकी मनुष्यों के पास वास्तविक शक्ति की कमी है।

5th January

लोगों में अपने शब्दों द्वारा, आपसी कलह उत्पन्न कर उनकी एकता को नष्ट मत करो। जब लोगों के बारें में बुरी बातें सुनो तब उन्हें भूल जाओ परंतु जब किसी की बड़ाई सुनो तो याद रखो तथा दूसरे लोगों को भी बताओ। शब्दों के घाव कभी नहीं भरते इसलिए नाप तोल कर बोलना चाहिए ख़ासकर के जब शब्द कड़वे हों और किसी को बेवजह दुःख पहुँचा सकते हों। परंतु ज़रूरत पड़ने पर कटु वचन का प्रयोग भी करने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।

4th January

मानवता का इतिहास अधिक से अधिक एकीकरण की ओर, एक आंदोलन है । प्रत्येक मनुष्य एक दूसरे से उध्योग, कला, ज्ञान, व्यापार, तथा नश्वर्ता के माध्यम से जुड़ा हुया है। हम दूसरों के सहारे के बिना नहीं जी सकते, इसी कारण से हमें एक दूसरे का ख़याल रखना चाहिए, सलाह तथा चेतावनियाँ भी देनी चाहिए ।

3rd January

हम अगर ये माने की हमारी अपनी ख़ुशी ही हमारा ध्येय है, तो जीवन कितना बेतुका सा लगता है। हम अगर ये मानते हैं की हमारा इस जीवन में आना उस सत्ता की सेवा करना है जिसने हमें इस संसार में भेजा है, तो जीवन ख़ुशी का पर्याय सा हो जाता है। हमें ईमानदारी से अपनी क्षमता अनुसार समाज कल्याण के कार्य करने चाहिए, फिर ये फ़र्क़ नहीं पड़ता की हम ईश्वर में विश्वास करते हैं या डार्विन के सिद्धांतों में।

2nd January

हर धर्म के मूल में एक ही सिद्धांत है की सबसे प्रेम करो तथा इंसान का जीवन इस सिद्धांत के बिना पशु समान है। इस सिद्धांत को मानना और जीवन में उतारना ही वास्तविक धर्म है।

1st January

ज़हर और बौधिक ज़हर में फ़र्क़ ये होता है कि ज़्यादातर ज़हर स्वाद में ख़राब होते हैं, परंतु बौधिक ज़हर जो की बुरी किताबों, समाचार चैनल्ज़ इत्यादि के रूप में परोसे जाते हैं वो ज़्यादातर दुर्भाग्यवश “स्वादिष्ट” होते हैं। जिस प्रकार से हम क्या खाते हैं, हमारी सेहत निर्धारित करता है, उसी तरह हम क्या पढ़ते और सुनते हैं निर्धारित करता है की हमारा बौधिक स्तर कैसा होगा। इस क्षणिक जीवन में अच्छी पुस्तकों को प्राथमिकता दे, क्यूँकि कम और आवश्यक चीज़ों का जानना ज़रूरी है बजाय के निरर्थक चीज़ों के।